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शनिवार, मार्च 17, 2012

रूठ कर जिंदगी और क्या ले जायेगी


रूठ कर जिंदगी और क्या ले जायेगी 
बस मेरे ये जिस्म-ओ-जाँ ले जायेगी 

चरागों तुम जरा खामोश जला करना 
अदा इक-इक तुम्हारी हवा ले जायेगी 

हमारे बाद ही तो तुम हमको तरसोगे 
जब ख़ामोशी हमारी सदा ले जायेगी 

हयात के परदे गिर जायेंगे उस रोज़ 
क़ज़ा जिस दिन हमे छुपा ले जायेगी 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरती से शिकायत दर्ज की ..उम्दा

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  2. चरागा तुम जरा खामौश जला करना
    अदा तुम्हारी एक एक हवा ले जायेगी...

    बहुत खूब...

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  3. बहुत सुंदर प्रस्‍तुति !!

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  4. आभार आप सभी का.....यूँ ही हौसला अफजाई करते रहें....

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